ये शहर, ये गांव,ये मोहल्ले सभी पत्थरों से ही बने है,लेकिन उसे बांध कर रखा है एक उम्मीद एक रिवाज एक डर, हां एक डर एक ऐसा डर अनगिनत लोगों के सपनो को एक जंग लगे संदूक में कैद कर रखा है। ये डर एक सोच है है एक ऐसी सोच और यह सोच है कि चार लोग क्या कहेंगे चार लोग क्या सोचेंगे
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hace 4 meses
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