Deepak Kumar Das

Deepak Kumar Das

@Deepak Kumar
1Usos
0Comparte
0Me gusta
0Guardado por

ये शहर, ये गांव,ये मोहल्ले सभी पत्थरों से ही बने है,लेकिन उसे बांध कर रखा है एक उम्मीद एक रिवाज एक डर, हां एक डर एक ऐसा डर अनगिनत लोगों के सपनो को एक जंग लगे संदूक में कैद कर रखा है। ये डर एक सोच है है एक ऐसी सोच और यह सोच है कि चार लोग क्या कहेंगे चार लोग क्या सोचेंगे

ur
Público
Muestras
Aún no hay muestras de audio