उस रात बारिश नहीं… किस्मत बरस रही थी। और इन दोनों का मिलना, किसी साधारण कहानी का हिस्सा नहीं घने जंगल का रास्ता… ऊपर काले बादल… और नीचे ये शांत नदी। यही जगह थी, जहाँ सदियों से एक रहस्य दबा था। कहते हैं, जो यहाँ मिलने वाला हो… उसे कोई तूफ़ान भी नहीं रोक सकता। युवती अकेली नदी पार करने आई थी। लेकिन जैसे ही उसने कदम रखा, पानी का बहाव अचानक तेज़ हो गया… और तभी सामने प्रकट हुआ वो योद्धा— कंधों पर बरसों का दर्द… और आँखों में छिपा कोई गहरा सच। वो उसे देखता रहा—जैसे उसे पहले से पहचानता हो। युवती भी करीब आई… उसकी साँसें अटक गईं… दोनों के बीच एक अदृश्य बंधन था, जो न समय समझ पाया, न दुनिया। पर यह मुलाक़ात सिर्फ़ एक संयोग नहीं थी। इस जगह पर एक प्राचीन भविष्यवाणी थी— “जब बारिश में दो अजनबी मिलेंगे, किसी सोई हुई शक्ति का जागरण होगा।” युवती ने डर और चाह दोनों से उसकी ओर हाथ बढ़ाया। योद्धा ने धीरे से कहा— “अगर मेरे साथ आगे बढ़ी… तो लौटने का कोई रास्ता नहीं होगा।” हवा अचानक तेज़ हो गई… जैसे प्रकृति भी उन्हें चेतावनी दे रही हो। लेकिन युवती ने उसका हाथ पकड़ लिया। दोनों नदी के बीच पहुँचे… और तभी पानी में एक कंपन उठा… जैसे नीचे कोई पुरानी आत्मा जाग गई हो। उसके चेहरे पर डर… और उसके चेहरे पर दृढ़ता। दोनों पास आए… पर सच अभी बाकी था। “ये मिलन प्रेम था… किस्मत था… या किसी श्राप की शुरुआत?” अगला हिस्सा चाहिए तो कमेंट में ‘Part-2’ लिखें…
