आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो आन बाण शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो आरंभ है प्रचंड
hi
Public
il y a 2 mois
Échantillons
Il n'y a pas encore d'échantillons audio

आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो आन बाण शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो आरंभ है प्रचंड