राजा बाहु का राज्य छिन गया, और वनवास के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी गर्भवती थीं, जिन्हें महर्षि और्व ने अपने आश्रम में शरण दी। वहीं जन्म हुआ एक पराक्रमी पुत्र का—राजा सगर। सगर ने शस्त्र और शास्त्र में निपुणता प्राप्त कर अपने शत्रुओं से प्रतिशोध लिया। जब उन्होंने शक, यवन, काम्बोज, और पारद राजाओं को हराया, तो गुरु वशिष्ठ के आदेश से उन्हें मारने के बजाय उनका सिर शिखासहित मुंडवा दिया—जो तब मृत्यु के समान माना जाता था। शिखा केवल पहचान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण थी। यह मस्तिष्क और सुषुम्ना नाड़ी की रक्षा करती थी, जिससे ऊर्जा संतुलित रहती थी। विद्वानों का मानना था कि यह बुद्धि, आत्मबल और दीर्घायु को बढ़ाती है।
hi
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9 месяцев назад
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