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रमज़ान में सलमा ने अपनी बचत से गरीब बच्चों को ईदी खरीदी। उसकी नेक नीयत देख कर पापा ने भी मदद की। अगले दिन मोहल्ले के सभी बच्चे नई ईदी पहन कर खुश थे। सलमा के चेहरे पर मुस्कान देख अम्मी की आंखें भर आईं।
説明
अहमद और उसकी अम्मी के पास इफ्तार के लिए सिर्फ़ एक रोटी थी। तभी एक भूखा शख्स दरवाज़े पर आया। अम्मी ने बिना सोचे रोटी का आधा हिस्सा उसे दे दिया।
अहमद परेशान हुआ कि अब उनका पेट कैसे भरेगा। मगर तभी पड़ोसी चाचा ढेर सारा खाना लेकर आ गए। अहमद मुस्कुराते हुए बोला, "अल्लाह ने वाकई बरकत डाल दी!"
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