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गाँव के सवेरे की ठंडी हवा में जब सूरज की पहली किरणें खेतों पर पड़तीं, तो अरुण का मन भी वैसा ही चमक उठता था। उसका बचपन मिट्टी की खुशबू और कोयल की कूक के बीच बीता था।
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जंगल की गहराई में जब बारिश की बूंदे पेड़ों से टकराती हैं, तो मोर नाचने लगते हैं। धरती की सोंधी खुशबू हवा में घुल जाती है, और बादलों की गरज गांव के कोने-कोने में गूंजती है।