gulam husain

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रिश्ता निभावल आसान नइखे… बाकी श्रीकृष्ण सिखावेलन कि अगर भावना साँच होखे, त हर रिश्ता भगवान के दिया वरदान हो जाला।" (थोड़ा तेज़, जोश में) "कभी अर्जुन के सारथी बन के, तो कभी द्रौपदी के लाज खातिर सामने आके… कन्हैया ई बता देलेन कि सच्चा दोस्त ऊ ना होला जे बस साथे हँसे, बल्कि ऊ होला जे जरूरत पड़े त ढाल बन जाला।" (धीरे-धीरे गहराई में) "कभी ऊ अपन रिश्ता के जोर से ना जतवलें – बाकी जब जरुरत पड़ल, त हर मोड़ पर, हर जंग में खड़ा मिललें।" (प्रेरणात्मक अंदाज़ में) "आज के रिस्ता में शोर बा, दिखावा बा, बाकी श्रीकृष्ण कहेलें – ‘जे बिना बोले तोहार दर्द समझ ले, उहे साँच रिश्ता, उहे साँच मीत होला।’" (नरम लेकिन दमदार समापन) "रिश्ता बनेला विश्वास से, आ निभेला समर्पण से। अगर तोहार जिंदगी में एको अइसन आदमी बा, जे श्रीकृष्ण जइसन हर हाल में साथ देला – त ओके पकड़ के राखs, काहे कि ऊहे तोहार असली धन ह।"

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जब सावन की बूंदें धरती को छूती हैं, तब हर कोने में एक नई कहानी जन्म लेती है। माटी की सोंधी खुशबू में बचपन की यादें जागती हैं, और हर मौसम अपनी कविता सुनाता है। यही तो है हमारी संस्कृति की अनमोल विरासत।