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प्रेम की सच्ची परिभाषा क्या है? जब तक तुम लौकिक मोह में बंधे रहोगे, दिव्य प्रेम को नहीं समझ पाओगे। परमात्मा के प्रति निष्काम भाव रखो, वही सच्चा प्रेम है। यह संसार मायाजाल है, उससे ऊपर उठो और आत्मज्ञान को प्राप्त करो।
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