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साल बीतते गए। अर्जुन बड़ा होकर शहर में एक बड़ा व्यापारी बन गया। राजन वहीं गाँव में रहकर अपने खेत संभालता रहा। एक दिन अर्जुन फिर गाँव आया — लेकिन अब वो दोस्त नहीं, एक निवेशक (इन्वेस्टर) बनकर आया था। उसने कहा, "यहाँ एक रिसॉर्ट बनाएँगे। तुम्हारा खेत खरीद लेते हैं। दुनिया को गाँव की सादगी दिखाएँगे।" राजन चुप रहा। वो ज़मीन सिर्फ़ खेत नहीं थी — उसमें उसके माँ-बाप की यादें थीं, उसका बचपन था, उसकी पहचान थी। पर अर्जुन के लिए ये बस एक "प्रोजेक्ट" था। कुछ पल के लिए, दोस्ती रुपयों के बोझ तले दब सी गई। राजन ने धीरे से कहा, "तू शायद भूल गया अर्जुन… तेरे लिए ये ज़मीन एक योजना है, मेरे लिए ये मेरा वजूद है।" अर्जुन की आँखें भर आईं। उसने महसूस किया कि वो अपने सबसे प्यारे दोस्त और उसकी भावनाओं को समझने में पीछे अर्जुउड़ने के लिये जमीन ड़ना ही पड़ेगासाल बीतते गए। अर्जुन बड़ा होकर शहर में एक बड़ा व्यापारी बन गया। राजन वहीं गाँव में रहकर अपने खेत संभालता रहा। एक दिन अर्जुन फिर गाँव आया — लेकिन अब वो दोस्त नहीं, एक निवेशक (इन्वेस्टर) बनकर आया था। उसने कहा, "यहाँ एक रिसॉर्ट बनाएँगे। तुम्हारा खेत खरीद लेते हैं। दुनिया को गाँव की सादगी दिखाएँगे।" राजन चुप रहा। वो ज़मीन सिर्फ़ खेत नहीं थी — उसमें उसके माँ-बाप की यादें थीं, उसका बचपन था, उसकी पहचान थी। पर अर्जुन के लिए ये बस एक "प्रोजेक्ट" था। कुछ पल के लिए, दोस्ती रुपयों के बोझ तले दब सी गई। राजन ने धीरे से कहा, "तू शायद भूल गया अर्जुन… तेरे लिए ये ज़मीन एक योजना है, मेरे लिए ये मेरा वजूद है।" अर्जुन की आँखें भर आईं। उसने महसूस किया कि वो अपने सबसे प्यारे दोस्त और उसकी भावनाओं को समझने में पीछे अर्जुउड़ने के लिये जमीन ड़ना ही पड़ेगासाल बीतते गए। अर्जुन बड़ा होकर शहर में एक बड़ा व्यापारी बन गया। राजन वहीं गाँव में रहकर अपने खेत संभालता रहा। एक दिन अर्जुन फिर गाँव आया — लेकिन अब वो दोस्त नहीं, एक निवेशक (इन्वेस्टर) बनकर आया था। उसने कहा, "यहाँ एक रिसॉर्ट बनाएँगे। तुम्हारा खेत खरीद लेते हैं। दुनिया को गाँव की सादगी दिखाएँगे।" राजन चुप रहा। वो ज़मीन सिर्फ़ खेत नहीं थी — उसमें उसके माँ-बाप की यादें थीं, उसका बचपन था, उसकी पहचान थी। पर अर्जुन के लिए ये बस एक "प्रोजेक्ट" था। कुछ पल के लिए, दोस्ती रुपयों के बोझ तले दब सी गई। राजन ने धीरे से कहा, "तू शायद भूल गया अर्जुन… तेरे लिए ये ज़मीन एक योजना है, मेरे लिए ये मेरा वजूद है।" अर्जुन की आँखें भर आईं। उसने महसूस किया कि वो अपने सबसे प्यारे दोस्त और उसकी भावनाओं को समझने में पीछे अर्जुउड़ने के लिये जमीन ड़ना ही पड़ेगा

hi
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अरे अरे क्या कर रहे हो तुम तो बस इधर उधर घूम रहे हो ना कि कुछ काम करो तो सही अरे अरे देखो देखो कैसे कैसे चल रहे हो तुम तो बस यही करते रहो अरे अरे अरे