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मैं श्री राम के चरणों में विनती करता हूं। शक्ति मिली है तो सेवा के लिए, ज्ञान मिला है तो मार्गदर्शन के लिए। भक्ति का पथ कठिन है, पर प्रभु की कृपा से सरल हो जाता है। मेरा धर्म है सेवा, मेरा कर्म है समर्पण।
Description
अरे सूरज इतना याद रहे संकट एक सूर्यवंश पर है।
लंका के नीच राहु द्वार अघट दिनेश अंश पर है।
मेरे आने से पहले अगर किरनों का चमत्कार हुआ तोह सूर्यवंश पे निशित ही अंधकार होगा।
इसलिए संकट मिटने के बाद ही प्रकट होना अन्यथा शमा कर्ण दिनकर, अंजनी तने से पाला है, बचपन से जान रहे हो तुम हनुमान कितना मतवाला है।
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