Uday

19 days ago
hi
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सुनो भाई, जब पिछले महीने जंगल में वो विचित्र घटना हुई थी, तब गांव के सयाने लोगों ने एक सभा बुलाई थी। रामसिंह जी ने कहा था कि हमें अपनी परंपराओं को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि इनमें ही हमारी रक्षा का मार्ग छिपा है।
Description
शिमला, पहाड़ों की रानी। ऊंचे ऊंचे पहाड़, घने देवदार के जंगल और बर्फ़ की चादर में लिपटा। दिसंबर का महीना, साल 1985। शिमला के घने जंगलों में बसे एक गांव, कैलाशपुर में आज जश्न की रात थी। पूरे गांव को फूलों से सजाया गया था। सभी गांववासी आज बेहद खुश दिख रहे थे। वहीं गांव के कुलदेवता, भगवान वीरभद्र के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। मंदिर के परांगन में भगवान वीरभद्र की प्रतिमा के सामने एक भव्य सिंहासन लगाया गया था जिसे लगभग सौ लोग घेर कर खड़े थे। मंदिर में संध्या आरती का समय हो गया था। लोग अपने हाथ जोड़े पूरी श्रद्धा से भगवान वीरभद्र की मधुर आरती गा रहे थे। संध्या आरती में गांव वालों के अलावा कुछ जंगली जानवर भी उपस्थित थे जो अपने सिर झुकाए मानो भगवान वीरभद्र के प्रति अपनी आस्था प्रकट कर रहे थे।
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