Sonali
от shraddhaz diaries
Sameer aur Shikha ki Kahani —
Sameer, Mumbai का एक जाना-माना child specialist।
उसके घर में एक छोटी-सी बच्ची थी—उसकी खुद की—जो 6 महीने की थी लेकिन बहुत कमजोर, बस 1–2 महीने की लगती थी।
Sameer की उम्र 36 साल और शादी को 10 साल हो चुके थे।
Sameer की शादी हुई थी Rashmi से, जो 34 साल की थी—Sameer से 2 साल छोटी।
पर Rashmi को बच्चों से बिल्कुल प्यार नहीं… उसे बच्चे पसंद ही नहीं।
इसी कारण जब उनकी बच्ची हुई, Rashmi ने एक बार भी उसे अपना दूध नहीं पिलाया।
लेकिन उस बच्ची को सिर्फ breastfeeding और मां का प्यार चाहिए था।
Sameer अमीर था, बहुत सारे नौकर-चाकर थे। वही लोग फोटो से दूध पिलाने की कोशिश करते,
लेकिन बच्ची को बोतल से दूध पसंद नहीं था।
हर दिन वही—रोना, चिड़चिड़ापन, भूख… एक तरह की रोज़ की chid-chid।
दूसरी तरफ Shikha—23 साल की, एक साधारण, अनाथ आश्रम में पली-बढ़ी लड़की।
20 की उम्र में शादी हुई, और 2 साल के अंदर ही उसके पति का देहांत हो गया।
6 महीने पहले उसका पति गया… और उसी समय उसका बच्चा भी मृत पैदा हुआ।
उसकी गोद सूनी रह गई थी।
---
सीन 1 — टूटी हुई रात
Sameer का फोन अचानक बज उठा।
स्क्रीन पर नौकर का नाम चमक रहा था।
Sameer ने कॉल उठाया।
“Sahab… baccha bahut ro raha hai. Madam bedroom ka darwaza nahi khol rahi. Aadha ghanta ho gaya… bacchi ne doodh bhi nahi piya.”
Sameer ने तुरंत कहा—
“Okay, main aata hoon.”
वह बिना सोचे-समझे कार की चाबी उठाता है और तेजी से घर की ओर निकल पड़ता है।
---
घर पहुँचते ही—
जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, एक ही आवाज़ घर में गूंज रही थी—
बच्ची का लगातार, टूटता हुआ रोना।
Sameer का दिमाग घूम गया।
Rashmi bedroom में बंद थी।
Sameer ने दरवाज़े पर कई बार दस्तक दी—
“Rashmi! Darwaza kholo! Bacchi ro rahi hai!”
अंदर से कोई जवाब नहीं।
फिर धीरे से लड़के की हँसी और संगीत की आवाज़ आई।
Sameer समझ गया—
Rashmi अपने बॉयफ्रेंड के साथ है।
उसने फिर चिल्लाकर कहा—
“Rashmi, please! Bacchi kam se kam doodh to pi le!”
Rashmi झुंझलाकर बोली—
“Sameer, mujhe yeh roj-roj ka nakhra nahi chahiye.”
ये सुनकर Sameer बिल्कुल सुन्न पड़ गया।
उसे समझ नहीं आया वह क्या करे।
---
Sameer टूट गया
गुस्से और बेबसी में उसने पास से दूध की बोतल उठाई, बच्ची को गोद में लिया और घर से बाहर निकल आया।
नीचे जो दो–तीन फ्लैट थे, वे Sameer के ही थे, किराए पर चढ़े हुए।
उसे पता भी नहीं था कि उन main Kaun kahta Hai, फ्लैट्स को उसका manager संभालता है।
Sameer बच्ची को लेकर एक खुली बालकनी में आ खड़ा हुआ।
हवा चल रही थी… और Sameer पूरी तरह टूट चुका था।
उसने बच्ची को देखते हुए कहा—
“Baccha… vo tujhe doodh nahi pilaegi. Tumhe bottle se hi peena padega.”
लेकिन बच्ची लगातार रोती रही।
Sameer का धैर्य जवाब देने लगा।
“Pee le! Bottle se hi peena hai tujhe! Mera dimag mat kharab kar!”
वह गुस्से में बोतल उसके मुंह से लगाता है।
बच्ची ने थोड़ी देर के लिए थोड़ा दूध पिया…
फिर अचानक गुस्से से बोतल को जोर से साइड धक्का दिया।
Sameer के हाथ से बोतल एक तरफ हो गई।
और अगले ही पल—
बच्ची ने सारा दूध थूक दिया।
दूध Sameer के हाथों, शर्ट और फर्श पर फैल गया।
Sameer का गुस्सा फट पड़ा—
“TU MERI JAAN LEKAR CHHODEGI!
TERI MAA BHI AISI HI HAI… TU BHI VAISE HI!”
उसकी तेज़, गूंजती आवाज़ पूरे फ्लोर में फैल गई।
और तभी—
सामने वाले फ्लैट का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला।
---
सीन 2 — Shikha… एक फरिश्ता
Sameer की चीख सुनते ही सामने वाले फ्लैट का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला।
दरवाज़े की चौखट पर एक लड़की खड़ी थी—
23 साल की… बस 5 फीट की।
Sameer, जो 6 फीट का था, उसके सामने वह सच में बहुत नाज़ुक और छोटी लग रही थी।
Shikha।
उसने नींबू-पीले रंग की हल्की-सी transparent साड़ी पहन रखी थी।
Simple सा ब्लाउज़… गले में नाज़ुक सा diamond necklace…
छोटे earrings…
और बालों में खोंसा हुआ एक पीला फूल, जो उसे और भी मासूम दिखा रहा था।
उसके कदमों में बंधी पायल हल्के से छनक रही थी—बहुत धीरे… बहुत मधुर।
वह Sameer की तरफ आई और धीमी, सुकून देती आवाज़ में बोली—
“Shhhh… kitna chilla rahe ho?
Bacchon par aise nahi chillate.
Itni si jaan hai…”
उसकी आवाज़ में डांट नहीं थी—
बस मां जैसी मेहरबानी थी।
शायद वह अंदर से ही सब सुन चुकी थी…
Sameer की टूटन, बच्ची का रोना, और वो बेबसी।
Shikha बिना एक पल गँवाए आगे बढ़ी।
उसने Sameer की गोद से बच्ची को बहुत ही नरमी से लिया—
जैसे कोई अपना खोया हुआ टुकड़ा वापस पा रहा हो।
बच्ची को सीने से लगाते हुए उसने बेहद प्यार से कहा—
“Baccha… chup ho ja meri jaan…
Dekho, aapki mummy aa gayi.”
बच्ची ने उसकी आवाज़ सुनते ही रोना थोड़ा हल्का कर दिया।
Shikha ने उसके माथे को चूमा और बोली—
“Bas… yahi bahar shopping ko gayi thi.
Itna kyun pareshan kiya sab ko?”
फिर उसने Sameer की तरफ देखा और बहुत प्यारी मुस्कान के साथ हल्का-सा चुटकी ली—
“Dekho… pappa darr gaye.”
Sameer एक पल को बिल्कुल चुप हो गया।
किसी अजनबी ने इतनी नर्मी से उसकी बच्ची को संभाल लिया… और उसे भी।
और बच्ची—
जो थोड़ी देर पहले फर्श तक दूध थूक रही थी—
Shikha की गोद में आते ही धीरे-धीरे शांत होने लगी।
फर्श का गुस्सा और हवा का तनाव
बस उसकी पायल की आवाज़ में घुलने लगा था।
धीरे-धीरे बच्ची शांत होने लगी।
Shikha बच्ची को संभालते हुए अपने फ्लैट के अंदर चली गई।
दरवाज़े के पीछे से भी उसकी पायल की हल्की-सी छन छन Sameer को सुनाई दे रही थी।
कुछ पल रुककर Sameer भी उसके पीछे-पीछे अंदर चला आया…
शायद हैरानी में, शायद मजबूरी में, शायद एक बेसहारा बाप की उम्मीद में।
Shikha ने दरवाज़ा बंद किया।
सोफे पर बैठ गई—Sameer की तरफ पीठ करके—ताकि बच्ची को आराम से संभाल सके।
उसने बच्ची को अपनी गोद में रखा।
बच्ची अब भी हिचकियों की तरह रो रही थी, जैसे कोई बहुत गहरी शिकायत हो दुनिया से।
Shikha ने उसे धीरे से अपने सीने से लगाया…
और बेहद सधे, सादे, मां जैसे careful अंदाज़ में
ब्लाउज़ का hook खोला, फिर पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का hook खोल दिया।
(यह कोई अश्लील पल नहीं—बल्कि एक ऐसी महिला का दर्द है, जिसने मां बनने का हक खो दिया…
पर उसके शरीर में, उसके दिल में, ममता अब भी ज़िंदा थी।)
जैसे ही उसने बच्ची को अपने सीने से लगाया—
बच्ची ने बिना एक पल गंवाए दूध पीना शुरू कर दिया।
इतनी तेजी से कि Shikha को हल्का-सा दर्द महसूस हुआ।
लेकिन वह दर्द से नहीं—
प्यार से मुस्कुराई।
धीरे से बोली—
“Baccha… dheere-dheere piyo.
Mama kahin nahi ja rahi.”
उसने बच्ची के सिर पर हाथ फेरा—
“Aaj se mama promise karti hai…
roz doodh milega.”
Sameer के पाँव जैसे ज़मीन में धंस गए थे।
वह यह सब पहली बार देख रहा था—
कोई अजनबी उसकी बच्ची को अपने बच्चे की तरह सीने से लगाए…
और बच्ची पहली बार ऐसे शांत।
Sameer चुपचाप उठकर जाने लगा—
उसे लगा, शायद वह बहुत personal, बहुत private पल में खड़ा है।
पर Shikha ने उसका हाथ पकड़ लिया।
उसकी आवाज़ बहुत साधारण, बहुत सामान्य थी—
जैसे यह सब उसके लिए कोई unusual बात ही नहीं हो:
“Baith jao.
Baccha doodh pee raha hai.”
Sameer चुपचाप बैठ गया।
उसकी नज़र बस बच्ची के चेहरे पर थी—
जो पहली बार इतने सुकून से दूध पी रही थी।
कुछ देर बाद Shikha ने बच्ची के माथे पर हाथ घूमाया…
बहुत ममता से।
“Aise haath ghumane se na… doodh amrit ban jata hai.”
Sameer हल्का-सा मुस्कुराया—
“Main child specialist hoon.”
Shikha भी हँस दी—
“Honge… par maa nahi ho na.
Maa to main hoon.”
बच्ची ने पहला breast छोड़ दिया।
Shikha ने उसे प्यार से दूसरी तरफ लगाया—
“Babu, aur bhookh lagi hai?
Pee lo… tera hi hai.”
बच्ची ने एक-एक बूँद पी ली—
जैसे किसी को पता हो कि यह दूध सिर्फ उसके लिए है…
पहली बार उसके हिस्से का, उसके प्यार का।
कुछ ही देर में बच्ची का पेट भर गया।
Shikha ने उसे कंधे पर उठाया—
“Nahin Babu, sona nahi hai…
pehle dakar aayegi.”
वह बच्ची को हल्के-हल्के घुमाती रही।
उसकी पायल की छनक और बच्ची की मीठी सांसें कमरे में घुलती रहीं।
कुछ मिनट में
बच्ची ने डकार ली…
और फिर शांति से उसकी गोद में सो गई।
Shikha ने बच्ची को Sameer के पास रखा, उसके ऊपर चादर ठीक की और बहुत हल्की आवाज़ में कहा—
“Iska dhyaan rakhna. Main kitchen se ho kar aati hoon.”
Sameer ने स्वाभाविक तौर पर बच्ची को थोड़ा पास खींच लिया, ताकि वह हिले तो उसे तुरंत महसूस हो।
Shikha जैसे ही मुड़ी, बच्ची ने उसका पल्लू पकड़ लिया।
Shikha रुक गई… मुस्कुराई… और झुककर बहुत नरमी से बोली—
“Babu, mama kahin nahi ja rahi. Aapke paas hi hai. Aapko milk pila diya na… ab aapke dad ko coffee pila doo? Subah se kuchh nahi khaya inhone.”
Sameer ने सिर उठाया—
“Aapko kaise pata?”
Shikha ने बस कंधे उचकाए—
“Chidchida rahe the na… samajh gaya.”
Sameer मन में ही बुदबुदाया—
“Kaash aisi meri biwi hoti…”
किचन से लौटकर Shikha ने दोनों के लिए कॉफ़ी बनाई और ला कर मेज़ पर रख दी।
दोनों आमने-सामने बैठकर चुस्की लेने लगे।
अचानक उसने अपना माथा थपथा कर कहा—
“Oh shit! Maine sugar hi nahi daali! I’m sorry… main without sugar coffee peeti hoon… galti se aapko bhi waise hi de di.”
वह उठने लगी तो Sameer ने तुरंत रोक दिया—
“Ruk jao… main bhi without sugar hi pita hoon.”
दोनों हल्का-सा हँस दिए।
हँसी बिल्कुल छोटी थी, लेकिन कमरे का माहौल थोड़ा सहज हो गया—
जैसे कोई छोटा-सा गलतफ़हमी वाला पल भी अपने आप मीठा बन गया हो…
बिना शक्कर के भी।
Shikha ने धीरे से पूछा—
“Bura mat maniyega… par yeh bacchi bahut roti hai. Raat raat bhar. Kya problem hai?”
Sameer ने गहरा सांस लिया। पहली बार किसी ने सच में पूछकर सुना था।
वह बोला—
Sameer:
“Problem bahut hai, Shikha ji… pata nahi kahan se shuru karun.”
Shikha ने उसकी आँखों में सच्चाई देखी—
“Jo mann mein hai, bata dijiye.”
थोड़े रुककर Sameer बोला—
“Rashmi… meri wife… uska affair chal raha hai.”
Shikha चौंक गई—
“Oh… I’m sorry. Par yeh bacchi…?”
Sameer की आवाज़ भारी हो गई—
“Usse bacchi se koi lagaav nahi. Na pyaar… na dayitv.”
“Woh… breastfeeding karne se bhi inkaar kar deti hai. Kehti hai ‘mera body figure kharab hoga’…”
Shikha धीरे से फुसफुसाई—
“Ek maa… apne bacche ko doodh na pilaye…”
और वह रुक गई, उसकी आँखें दुख से भर आईं।
Sameer आगे बोला—
“Isliye bacchi raat-raat bhar roti hai. Pareshan hoti hai. Usse doodh chahiye hota hai, par Rashmi…”
वह चुप हो गया।
कुछ पल की चुप्पी रही। फिर Shikha ने बच्ची की तरफ देखा—
उसकी मासूम, भूखी, थकी हुई शक्ल।
Shikha ने काँपती आवाज़ में कहा—
“Dekho Sameer ji… aaj ke baad jab bhi isse doodh chahiye ho… use mere paas le aaiyega.”
“Main pila dungi.”
Sameer ने तुरंत सिर हिलाया—
“Nahin… aaj pila diya, wahi bahut hai. Shukriya. At least ab yeh shaant hai.”
Shikha की आँखें अचानक नम हो गईं।
उसने रोके हुए दर्द के साथ कहा—
“Mera apna baccha chala gaya… par mera doodh ab bhi aata hai.”
“Yeh doodh… kisi kaam ka nahi tha.”
“Agar aapki bacchi ko isse sukoon milta hai… maa ka pyaar milta hai…”
“…to mujhe lagta hai… shayad mujhe mera khoya hua baccha mil jata hai.”
Sameer बिल्कुल चुप हो गया।
उसके अंदर का भारीपन थोड़ा हल्का हुआ… पहली बार किसी ने उसकी बच्ची के लिए इतना कहा था।
उसने धीमे से कहा—
“Main… sochkar batata hoon.”
फिर बच्ची को संभालते हुए खड़ा हुआ,
और दिल से, बिना शब्दों के Shikha को धन्यवाद कहते हुए बाहर चला गया।
---घर लौटकर…
समीर ओवी को लेकर घर आ गया। जैसे ही वह बेडरूम में पहुँचा, उसने देखा कि बेबी का पेट भरा हुआ था। समीर ने उसे प्यार से अपनी बाँहों में लिया और गले लगाकर लेट गया। ओवी के जन्म के बाद पहली बार वो इतनी शांति से उसके पास सोई थी। पूरी रात बेबी एक बार भी नहीं जागी…
सुबह का सुकून…
सुबह जैसे ही हल्की धूप कमरे में आई, समीर की आँख खुल गई। उसने बेबी को देखा – वो उसकी छाती से लगी हुई थी और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी। ये नज़ारा समीर के दिल को छू गया।
कुछ देर बाद बेबी उठी और आँखें मलते हुए प्यारी सी आलस भरी अंगड़ाई ली। उसकी मासूमियत देख समीर मुस्कुरा दिया। उसने ओवी को पास लिया, उसके माथे पर प्यार से किस किया और बोला –
“Good morning meri gudiya rani…”
बेबी खुश थी… समीर उसके साथ खेल रहा था, उसे प्यार कर रहा था… और ओवी भी एक के बाद एक मुस्कुराहट दे रही थी।
उसकी हर स्माइल समीर के दिल को सुकून दे रही थी…
तभी समीर ने उसे सीने से लगाकर कहा —
“Aaj ka din to ban gaya…”