描述
यह कहानी रामपुर गांव की है जहां एक परिवार में बहुत ही नालायक भोला नाम का लड़का रहता था उसके परिवार में उसकी मां उसके पिता और उसकी दादी मां रहती थी (सिन 1)--(दादी बिस्तर पर बैठी हुई है)दादी --अरे भोला आज तुम पढ़ने नहीं गए ऐसे रोज-रोज करोगे तो तुमको गोबर बिना और बेचना पड़ेगा भोला--चुप बुढ़िया जहां बैठे हो वहीं बैठी रहो अगर कुछ बोला तो घर छोड़कर चला जाऊंगा! Ai -- यह आवाज सुनकर दादी मां चुप हो जाती है और यह यह सब देखकर हंसता है और वहां से चला जाता है (सिम 2) (उसके माता-पिता आपस में बात करते हुए) मां-- अरे सुनते हो भोला आज फिर नहीं गया और बाहर खेलने गया है ऐसे चलता रहा तो वह गोबर बटूरे का और बचेगा !पापा -- घर आने दो उसे आज उसको सबक सिखा हु Ai -- और कुछ समय बाद भोला घर आता है (Seen 3)(भोला गाना गाते हुए) भोला-- मैं तो घर आ गया आज चलो खाना निकाल कर मुझे जल्दी करो जल्दी! पापा-- आज तुम पढ़ने क्यों नहीं गए और दिन भर आवारा की तरह ठहरते रहते हो!भोला-- अरे मैं नजरिया पढ़ने मुझे तो सिर्फ खेलने में मजा आता है और इधर-उधर घूमने मजा आता है Ai -- उसके पापा गुस्से में आ जाते हैं और कहते हैं!पापा-- तो घर छोड़ कर चले जाओ मेरा तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है इस घर में Ai--यह बात सुनकर भोला वहां से बिना कुछ बोल ही जाने लगता है तभी पीछे से उसकी मां मां-- अरे भोला बेटा कहीं मत जा और( रोते हुए) भोला --अब यह लो तुम्हारा भी ड्रामा चालू हो गया झूठ झूठ का रो रही है ( वहां से चलाजाता है)(सिन 4)--(morning sun) दादी मां--(उसके पिताजी) लखन अरे ओ लखन पिताजी--अरे क्या हुआ मन क्यों गला फाड़ रही हो अपना सुबह-सुबह!दादी मां-- भोला घर अभी तक नहीं आया क्या पता नहीं किसी हालत में होगा वह तुम जाकर उसे ढूंढो!पिताजी--मैं उसे ढूंढने नहीं जाऊंगा उसे जब जिम्मेदारियां का एहसास होगा तो वह खुद ही चला आएगा! Ai-- कुछ समय बाद गर्मी का महीना चल जाता है और सर्दी का मौसम स्टार्ट हो जाता हैAi--इधर फटे पुराने हालत में जा रहा होता है तभी उसे तीन भिखारी मिलते हैं जो आपस में बात करते हुए(भिखारी 1)--लगता है इस बार बहुत तेज ठंडी पड़ने वाली है भैया भोला--अरे ओ भैया हमको कोई रहने जगह मिल सकती है क्या अपने घर से भगा दिया गया हूं मैं घर से भगा दिया गया हूं मैं!(Seen tino hasne lagte hain )Character 1--अरे भैया तुम पागल हो गला गए हो क्या हम सब भिखारी हैं हम पर खुद छठ का साया नहीं है Character 2--अरे रमवा चुप हो जा दिखता नहीं कितना दर्द में है लड़का आओ बाबू वही तो हमारे पास तुम Ai -- भोले अपनी पूरी कहानी उसे बताने लगता है भोला--मैं अपने घर कभी वापस नहीं जाऊंगा और इधर ही रहकर तुम सबके साथ काम करूंगा और पैसे कमा लूंगाAi--इधर भोले की दादी ज्यादा सर्दी होने का कारण बहुत बीमार हो जाते हैं पिताजी--अरे अम्मा तुमको कुछ नहीं होगा कल सुबह हम तुमको अस्पताल लेकर चलेंगे और वहां पर तुम्हारा इलाज कराएंगे दादी मां--(दुखी स्वर में) नहीं लखन बेटा मुझे लगता है आप मेरे पास ज्यादा समय नहीं है बस मेरी आखिरी इच्छा है कि मुझे एक बार भोले से मिला दो मुझे उसकी बहुत याद आ रही है (उसकी मां)--ऐसे क्यों बात कर रही हो मां जी आपको कुछ नहीं होगा 100 साल उम्र है आपकी Ai -- अगले दिन जैसे ही सुबह होती है लखन भोला को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है (Seen 5)-- (Bhola bheekh mangte hue mandir ke bahar with all bhikhari)भोला--अरे भैया भगवान के नाम पर पैसा कुछ खाने को दे दो या फिर कुछ पैसे दे दो!(Bhikhari 1) अरे दे