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मेरी शक्ति का कोई सीमा नहीं है। स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मेरे सामने झुक जाएंगे। देवताओं का अहंकार मैं तोड़ दूंगा, और इस ब्रह्मांड में मेरा ही राज होगा। मेरे सामने सभी शक्तियां व्यर्थ हैं।
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"ये है मधुवन…
एक ऐसा जंगल जिसका नाम जितना मधुर है, उतना ही अद्भुत है इसका वातावरण।
यहां की वादियां मंत्रमुग्ध कर देने वाली हैं —
जैसे प्रकृति ने खुद किसी गीत को आकार दिया हो।
हर पेड़, हर नदी, हर हवा की सरसराहट…
जैसे कोई पुरानी कहानी सुना रही हो।"
"मधुवन केवल एक जंगल नहीं…
यह एक जीवित स्वर्ग है —
जहां हर जानवर, हर प्राणी अपने भीतर छुपाए है कोई खास गुण।
कोई बुद्धिमान है, कोई पराक्रमी, कोई चपल तो कोई धैर्यवान।
ये एक ऐसा संतुलन है जिसे प्रकृति ने स्वयं रचा है।
और इस संतुलन का केंद्र है — देवरत्न।"
"देवरत्न… इस जंगल का प्राण, इसका हृदय।
एक दिव्य रत्न, जिसमें समाई है अपार शक्तियां।
इसकी ऊर्जा ही मधुवन को जीवित रखती है।
इसी की वजह से ये वन इतना समृद्ध, शांत और आनंदमय है।
पर ये कोई साधारण रत्न नहीं…
एक बार किसी के हाथ लग जाए,
तो वो बन सकता है अपराजेय।"
"लेकिन जहां प्रकाश है, वहां अंधकार भी होता है।
और एक दिन…
एक बुरी ताकत ने अपनी नज़र डाल दी इस देवरत्न पर।
एक काले साए की तरह वो आया…
और रत्न को चुरा कर चला गया।
किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला।"
"देवरत्न के जाते ही,
जैसे मधुवन की आत्मा छीन ली गई हो।
खुशियां सिसकियों में बदल गईं,
और इस शांत वन में शुरू हो गया एक ऐसा विनाश…
जिसकी कल्पना भी यहां के जीव-जंतुओं ने कभी नहीं की थी।
हर दिशा में फैला अंधकार…
और अब, ये जंगल पुकार रहा है —
उन्हें, जो इसके रक्षक बनें।
जिन्हें चुना जाए,
देवरत्न को वापस लाने के लिए…"
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